प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा याेजना के तहत एक रुपए किलाे के हिसाब से दिए जाने वाले गेहूं में करीब 37 लाख अपात्र लाेग घुन बने हुए हैं। ये अवैध तरीके से याेजना में नाम शामिल कराकर हर साल करीब 22.20 लाख क्विंटल गेहूं 22.20 करोड़ रु. में लेते हैं, जबकि सरकार इस गेहूं काे समर्थन मूल्य पर करीब 400 कराेड़ रुपए में खरीदती है।
इस संबंध में शिकायतें मिलने के बाद पिछले साल नवंबर में खाद्य मंत्री रमेश मीणा के निर्देश पर खाद्य विभाग के शासन सचिव सिद्धार्थ महाजन ने अपात्र लाेगाें की जांच 31 दिसंबर तक पूरी करने के आदेश दिए। लेकिन 3 माह बीतने के बावजूद अभी तक इनकी सूची तैयार नहीं हुई है। तर्क दिया जा रहा है कि पंचायत चुनाव के कारण इनकी जांच अटक गई।
बहरहाल, जांच का ताे पता नहीं, लेकिन यह साफ है कि ये 37 लाख अपात्र लाेग गरीबाें का गेहूं खाते रहेंगे और सरकार काे आर्थिक नुकसान पहुंचाते रहेंगे। पिछले 6 साल में ये लाेग करीब दाे हजार कराेड़ रु. से अधिक का गेहूं ले चुके हैं।
प्रदेश में 2 अक्टूबर 2013 में शुरू हुई थी। अभी याेजना में 4.83 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं। सरकार ने भी माना है कि यह निर्धारित संख्या 4.46 करोड़ से 37 लाख लोग है। हैरान करने वाली बात यह है कि इन अपात्र लाेगाें में से करीब डेढ़ लाख ताे रिटायर व वर्तमान कर्मचारी व संविदाकर्मी हैं।
सरकार याेजना में शामिल परिवार के हर व्यक्ति काे पांच किलाे गेहूं एक रुपए किलाे की दर से प्रतिमाह देती है। इसके लिए वह किसानाें से समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदती है। वर्ष 2019-20 में सरकार ने गेहूं खरीद का समर्थन मूल्य 1840 रुपए प्रति क्विंटल रखा।
प्रदेश में 37 लाख अपात्र लाेगाें काे हर माह 1.85 कराेड़ किलाे के हिसाब से साल भर में 22.20 लाख क्विटंल गेहूं बांटा गया, जबकि किसानों से खरीदने के लिए सरकार ने 400 कराेड़ रु. चुकाए। इस गेहूं काे 37 लाख लाेगाें ने महज 22.20 कराेड़ रु. में सरकार से खरीदा।
याेजना में किसी परिवार का कोई भी सदस्य सरकारी, अर्द्ध सरकारी, स्वायत्तशासी संस्थाओं में नियमित अधिकारी या कर्मचारी, आयकरदाता, चौपहिया वाहन धारक हाेने पर शामिल नहीं हाे सकता। कृषि भूमि, आवासीय व व्यावसायिक परिसर की बाध्यता भी है।
हां, अपात्र लाेग भी याेेेेेेेेेेेेेेेेेजना में शामिल, जल्द ही नाम हटाएंगे
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा याेजना में अयाेग्य लाेगाें के नाम जुड़े हाेने की शिकायतें मिली हैं। प्रदेश के सभी जिलों में इस योजना से जुड़े लाेगाें का सत्यापन करवाया जा रहा है। सत्यापन के आंकड़े आने के बाद अयोग्य लाेगाें के नाम हटाए जाएंगे।सिद्धार्थ महाजन, शासन सचिव (खाद्य)